दूर तक अंधेरे की चादर है पथरीले रास्ते पे चलते हुए पैरों की आहट है यह कौन है जो चीर कर अंधेरे को मेरी ओर चला आता है शायद वो कोई और नहीं है बस मेरा हमनशीं
जब बागों मैं फूल खिलते हैं तब तरह तरह के रंग खिलते हैं दिल में भर जाती है खुशी की लहर आसमान पे भाँति भाँति के पक्षी चहकते है चारों तरफ खुशी का महॉल छाया है शायद इसी में प्यार पनपता है